शिक्षा बचाओ-देश बचाओ’ के उद्देश्य के लिए गठित ‘शिक्षा बचाओ आंदोलन’ मंच कार्यकर्ताओं ने बड़ी संख्या में आज 5 सितम्बर को राष्ट्रीय शिक्षक दिवस के अवसर पर शिक्षक विरोधी एवं जन विरोधी नई शिक्षा नीति के खिलाफ माननीय राष्ट्रपति के नाम अलवर, कोटा, डूंगरपुर,धौलपुर सीकर,बीकानेर, हनुमानगढ़ सहित प्रदेशभर में ज़िला कलेक्टरों को ज्ञापन दिए।
ज्ञापन के जरिये राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में शिक्षक,विद्यार्थी एवं आमजन विरोधी प्रावधानों को दूर करवाने की मांग की मांग की गई। ज्ञापन में कहा गया है कि यह नीति सामाजिक एवं आर्थिक विषमता को बढ़ाकर समतामूलक, समावेशी शिक्षा के संवैधानिक लक्ष्य को कमजोर करेगी। इसका सबसे बुरा असर दलित,आदिवासी,महिला एवं अल्पसंख्यक जैसे वंचित एवं पिछड़े तबके तथा आमजन पर पड़ेगा।
ज्ञापन के जरिये राष्ट्रपति महोदय से अपील की गई है कि 30 जुलाई को केंद्र सरकार द्वारा जारी एन ई पी के लागू किये जाने पर रोक लगाई जाए। शिक्षक,विद्यार्थी,अभिभावक एवं शिक्षा से जुड़े समस्त हितधारकों (Stakeholders) से संवाद कर तथा संसद में व्यापक चर्चा के बाद ही एक बेहतर,जन हितैषी,सही मायने में संविधान सम्मत समतामूलक एवं समावेशी शिक्षा के लिए एक समग्र शिक्षा नीति तैयार की जाए। मांग नहीं मानी गई तो ‘शिक्षा बचाओ आंदोलन राजस्थान’ का यह साझा मंच अपना आंदोलन और तेज करेगा।
मंच से जुड़े राजस्थान विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय शिक्षक संघ
रूक्टा प्रांतीय संयुक्त सचिव डॉ रमेश बैरवा,राजस्थान शिक्षक संघ शेखावत के प्रदेश अध्यक्ष महावीर सिहाग, स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया के राज्य सचिव सोनू कुमार जिलोवा ने संयुक्त बयान जारी कर बताया है कि शिक्षक विरोधी,विद्यार्थी विरोधी,जन विरोधी एवं राज्य सरकारों की विरोधी इस राष्ट्रीय शिक्षा नीति के खिलाफ 5 सितम्बर से शुरू राष्ट्र व्यापी जन चेतना अभियान के तहत यह कार्यक्रम किया जा रहा है। पहली कड़ी में यह कार्यक्रम अंतरराष्ट्रीय शिक्षक दिवस 5 अक्टूबर तक चलेगा।
-डॉ रमेश बैरवा
(शिंक्षा बचाओ आंदोलन(SBA) सदस्य) राजस्थान