दिल्ली विश्वविद्यालय से सम्बद्ध कॉलेजों में जिस प्रकार से लंबे समय से प्रिंसिपलों की स्थायी नियुक्तियां नहीं हो रही है ठीक उसी प्रकार से प्रिंसिपल के बाद लाइब्रेरियन के पदों पर नियुक्ति नहीं की गई है।किसी भी कॉलेज/संस्था में लाइब्रेरियन का पद सबसे महत्त्वपूर्ण माना जाता है।वह किसी भी संस्थान की रीढ़ होता है पर देखने में आया है कि 20 से अधिक कॉलेजों में लाइब्रेरियन के पदों पर नियुक्तियां नहीं हुई है। लाइब्रेरियन के खाली पड़े पदों में पीडब्ल्यूडी/फिजिकल चेलेंज उम्मीदवारों की है जिन पदों पर या तो सेमी प्रोफेशनल असिस्टेंट लगे हुए हैं या एडहॉक के रूप में लाइब्रेरियन की नियुक्ति की गई है।पीडब्ल्यूडी उम्मीदवारों के साथ खुलेआम आरक्षण का उल्लंघन किया गया है।
फोरम ऑफ एकेडेमिक्स फ़ॉर सोशल जस्टिस के चेयरमैन व दिल्ली यूनिवर्सिटी की एकेडेमिक काउंसिल के पूर्व सदस्य प्रोफेसर हंसराज ‘सुमन ‘ने बताया है कि किसी भी शैक्षिक संस्थान/कॉलेज में प्रिंसिपल के बाद लाइब्रेरियन (पुस्तकालयाध्यक्ष ) का पद सबसे महत्वपूर्ण माना गया है।कुछ कॉलेजों में तो प्रिंसिपल व लाइब्रेरियन दोनों ही एडहॉक है।प्रिंसिपल व लाइब्रेरियन ही सबसे अधिक समय कॉलेज/ संस्थान को देते हैं।कॉलेज में लाइब्रेरियन ही छात्रों के पाठ्यक्रमों की पुस्तकें व सामान्य पुस्तकों को मंगवाने का कार्य करता है।वह शिक्षकों द्वारा पारित पुस्तकों को छात्रों को पढ़ने के लिए देते हैं।
प्रोफेसर सुमन ने आगे बताया है कि दिल्ली विश्वविद्यालय के कॉलेजों में 30 से 40 फीसदी पद काफी लंबे समय से खाली पड़े हैं।इन पदों में कुछ कॉलेजों ने पीडब्ल्यूडी और फिजिकल चेलेंज के पदों के विज्ञापन तो निकाल दिए मगर इन पदों पर नियुक्ति आज तक नहीं की।प्रिंसिपलों ने उनके पदों पर एडहॉक या सेमी प्रोफेशनल असिस्टेंट को ही लाइब्रेरियन लगाया हुआ है। कुछ कॉलेजों ने इन पदों को भरने के लिए अपने यहां विज्ञापन भी निकाले लेकिन गवर्निंग बॉडी के न होने के कारण इन पदों को भरा नहीं गया।स्थिति यह है कि निकाले गए विज्ञापनों की समय सीमा समाप्त हो गई मगर समय रहते उनमें नियुक्ति नहीं हुई।कुछ कॉलेजों ने नियुक्ति करनी चाही मगर उन कॉलेजों में दिल्ली सरकार की गवर्निंग बॉडी के ना होने के कारण नियुक्ति खटाई में पड़ गई।उन्होंने बताया है कि कुछ कॉलेजों में दो से पांच साल से स्थायी लाइब्रेरियन( पुस्तकालयाध्यक्ष) की नियुक्ति नहीं हुई है।
प्रोफेसर सुमन ने बताया है कि दिल्ली सरकार,ट्रस्ट ,विश्वविद्यालय प्रशासन के अंतर्गत आने वे कॉलेज जिनमें स्थायी लाइब्रेरियन (पुस्तकालयाध्यक्ष) नहीं है उनमे श्री अरबिंदो कॉलेज, श्री अरबिंदो कॉलेज (सांध्य),मोतीलाल नेहरू कॉलेज, सत्यवती सह शिक्षा कॉलेज, सत्यवती सह शिक्षा कॉलेज (सांध्य ) , लक्ष्मीबाई कॉलेज ,शिवाजी कॉलेज, दिल्ली कॉलेज ऑफ आर्ट्स एंड कॉमर्स, महाराजा अग्रसेन कॉलेज, भारती कॉलेज, गार्गी कॉलेज ,इंद्रा ग़ांधी फिजिकल एजुकेशन कॉलेज ,पीजीडीएवी कॉलेज, दौलतराम कॉलेज,श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स, अदिति कॉलेज, हंसराज कॉलेज, जीसस एंड मेरी कॉलेज, इंस्टिट्यूट ऑफ होम इकनॉमिक ,मिरांडा हाउस ,भीमराव अंबेडकर कॉलेज, अदिति कॉलेज ,खालसा कॉलेज, भगतसिंह कॉलेज , भगतसिंह कॉलेज (सांध्य ) वेंकटेश्वर कॉलेज ,विवेकानंद कॉलेज, श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स ,मोतीलाल नेहरू कॉलेज के अलावा और भी कॉलेज है जहां पर दो से पांच वर्षो से लाइब्रेरियन ( पुस्तकालयाध्यक्ष )के पद खाली पड़े हैं।उनका कहना है कि किसी भी कॉलेज या संस्थान में पुस्तकालयाध्यक्ष पद बहुत महत्वपूर्ण होता है लेकिन यदि 5 साल या उससे अधिक समय तक खाली रखना छात्र, कर्मचारियों और शिक्षकों के हित में नहीं है।
प्रोफेसर सुमन को एक फिजिकल चेलेंज उम्मीदवार ने बताया है कि दिल्ली विश्वविद्यालय के मिरांडा हाउस, खालसा कॉलेज ,अरबिंदो कॉलेज, भगतसिंह कॉलेज, पीजीडीएवी कॉलेज, विवेकानंद कॉलेज, लक्ष्मीबाई कॉलेज के अलावा कुछ और कॉलेज है जहां पर फिजिकल चेलेंज, पीडब्ल्यूडी की पोस्ट बन रही है। उन्होंने बताया है कि कुछ कॉलेजों ने फिजिकल चेलेंज/पीडब्ल्यूडी की पोस्ट निकाले जाने के बाद ही उन पर नियुक्ति नहीं की।उनका कहना है कि दिल्ली सरकार के अधिकांश कॉलेजों में लंबे समय से कुछ तो 5 साल या उससे अधिक से पुस्तकालयाध्यक्ष के पद खाली पड़े हुए है लायब्रेरियन व प्रिंसिपलों के कारण लायब्रेरी में नॉन टीचिंग की नियुक्तियां भी नहीं हो पा रही है ।उन्होंने जल्द से जल्द कॉलेजों में लायब्रेरियन की नियुक्ति हो। दिल्ली सरकार के कॉलेजों में गवर्निंग बॉडी के लोगों की लिस्ट जा चुकी है।
प्रो. सुमन ने बताया है कि दिल्ली सरकार के 28 कॉलेजों में 20 मई को गवर्निंग बॉडी के लोगों के नाम जा चुके हैं।उन्होंने संभावना जताई है कि तीन सप्ताह तक इन कॉलेजों में गवर्निंग बॉडी बन जाएगी। लंबे समय से लाइब्रेरियन की नियुक्ति न होने से लाइब्रेरी में होने वाली नॉन टीचिंग की तमाम नियुक्तियां रुकी हुई है।यह नियुक्तियां परमानेंट गवर्निंग बॉडी बनने पर ही संभव है।