इस समय पूरी दुनिया कोरोना महामारी से जूझ रही है । इस समय पूरी दुनिया के सामने पहली और बड़ी चुनौती लोगो को मारने से बचाने और महामारी के प्रकोप को समाप्त करने की है वही अर्थव्यवस्था को बचाये रखनेका संकट भी मामूली नही है। पिछले कुछ समय से दुनिया मे आर्थिक मंदी का दौर तो चल रहा था लेकिन तब किसीको अंदाज़ नही था कि यह महामारी अचानक दस्तक देगी और सब कुछ ठप कर देगी । पिछले दो महीनों में एशिया ,यूरोप और अमेरिका के बाजारों का जो हाल हुआ है वह वैश्विक अर्थव्यवस्था की हातल बताने के लिए काफी है ।
यहां एक ओर स्पेन इटली, जर्मनी ब्रिटेन जैसे यूरोपीय देशों और अमेरिका में कोरोना संक्रमण से होने वाली मौतो का बढ़ता अकड़ा तो चिंता पैदा कर रहा है वहीं दूसरी ओर इन देशों की व्यापारिक गतिविधियां बंद सी है । इसका परिणाम ये हुआ कि लाखों लोगों की नौकरी चली गई गुजरा करने के लिए लोगों के पास पैसे नही है।इटली में तो लूटपाट की घटनाएं भी हो रही है। पिछले दोनों जर्मनी के हेस प्रांत के वित्त मंत्री ने इसी चिन्ता में खुदकुशी कर ली थी कि कोरोना कर कारण जिस तरह जर्मनी की अर्थव्यवस्था लड़खड़ा गई है उससे उबरने के रास्ते नज़र नही आ रहे थे । शायद ही पहले कभी ऐसा हुआ हो जब किसी देश के वित्त मंत्री ने देश की ढहती अर्थव्यवस्था के सदमे में ऐसा आत्मघाती कदम उठाया हों।
अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर कोई खतरा खड़ा न हो इसी डर से अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने अपने यहां लॉक डाउन यानी पूर्ण बंदी जैसा कदम नही उठाया और इसकी कीमत अमेरिका को अब अपने नागरिकों की जान के रूप में चुकानी पड़ रही है ।क़रीब 6 लाख 87 हज़ार लोग कोरोना की चपेट मैं जबकि ज़्यादातर यूरोपीय देशों ने अपने यहां पहले से ही लॉक डाउन कर रखा है।
अर्थव्यवस्था को लेकर भारत की दशा भी कोई ज़्यादा अच्छी नही है । भारत डेढ़ साल से आर्थिक मंदी का सामना कर ही रह था लेकिन अब कोरोना के संकट से जूझ रहा है जिससे निपटने के लिए सरकार को बड़े पैमाने पर आर्थिक और वितीय संसाधन झोकने पड़े है । यह अचानक आये किसी बड़े खर्च की तरह है जो किसी का भी बजट बिगाड़ सकता है ।
प्रधानमंत्री मोदी ने कोरोना वायरस से निपटने के लिए 21 दिन का लॉक डाउन की घोषणा की थी । यह लॉक डाउन भारत की अर्थव्यवस्था के लिए बढ़ा झटका साबित हुआ इससे अर्थव्यवस्था को लगभग 8 लाख करोड़ का नुकसान हो चुका है ।इस लॉकडाउन के दौरान अधिकतर कंपनियां उघोग-धंधे बंद रहे , उड़ान सेवाए निलंबित रही और ट्रेनों के पहिये थम गये , वही लोगो और वाहनों की आवाजाही पर रॉक लगा दी, इस लोक डाउन की वजह से भारत की 70 प्रतिशत आर्थिक गतिविधियां थम गई ।
प्रधानमंत्री मोदी ने 25 मार्च से देश मे लॉकडाउन किया था
इससे अर्थव्यवस्था को हर दिन 35 हज़ार करोड़ का नुकसान हो रहा है
देश की जीडीपी को इससे करीब 8 करोड़ का नुकसान हो चुका है
ऐसे में पहला लॉक डाउन का चरण अर्थव्यवस्था के लिए काफ़ी घातक सिद्ध हो चुका है ऐसे में
लॉक डाउन का दूसरा चरण के लॉकडाउन में भी भारतीय अर्थव्यवस्था को 7-8 लाख करोड़ रुपये का झटका लगने का अनुमान है ।
जीडीपी विकास को लगेगा तगड़ा झटका
लॉकडाउन के दौरान केवल जरूरी सामान एवम कृषि खनन , यूटिलिटी सेवाओ और कुछ वित्तीय एवं आईटी सेवाओ को चलाने की ही इज़ाज़त दी गई थी भारतीय अर्थव्यवस्था पहले से ही सुस्त पड़ी थी ऐसे में कोरोना महामारी ने इसे बिल्कुल पस्त कर दिया है इस वजह से तमाम देशी-विदेशी रेटिंग एंजेंसियों ने इस वित्त वर्ष में जीडीपी विकास दर के अनुमान को घटाकर 1.5से 2.5 फीसदी से काफी निचले स्तर पर कर दिया है